Aapka Bunty: Upanyas Ko Padne Se Ek Alag Anubhav Hai is Parkatha Ko Padhna HINDI
Material type:
- 978-8183618892
- 6 8H3 9410
Item type | Current library | Collection | Call number | Status | Notes | Date due | Barcode | Item holds | |
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eps-library General Stacks | Fiction | 8H3 9410 (Browse shelf(Opens below)) | Available | आपका बंटी' मन्नू भंडारी की अत्यन्त चर्चित और हिन्दी उपन्यासों के इतिहास में मील का पत्थर मानी जानेवाली कृति है । टूटते परिवारों के बीच बच्चों को किस मानसिक यातना से गुजरना पड़ता है इस उपन्यास में उसे लगभग दस्तावेजी ढंग से अंकित किया गया है । जिस संवेदनशीलता और स्नेह से मन्नू जी इस चरित्र और उसके मानसिक जीवन को लिख पाई, वह हिन्दी में दुबारा सम्भव नहीं हो सका । बंटी के माता-पिता सम्बन्ध-विच्छेद के बाद अलग- अलग रहते हैं और बाद मे अपना-अपना घर बसा लेते हैं । इस पूरी प्रक्रिया में बंटी को किसी भी घर में वह अपनापा महसूस नहीं होता जो उसे उसके माता- पिता एक साथ रहकर दे सकते थे । अन्त में बंटी को छात्रावास भेज दिया जाता है । इस पुस्तक में इस उपन्यास पर स्वयं मन्नू जी द्वारा लिखित फिल्म-पटकथा प्रकाशित की जा रही है । यहाँ यह जान लेना जरूरी है कि 'आपका बंटी’ को लेकर 1986 में 'समय-की-धारा' नाम से जो फिल्म बनी, यह उसकी पटकथा नहीं है । 'समय की धारा’, जिसमेँ शबाना आज़मी, शत्रुघ्न सिन्हा और विनोद मेहरा ने अभिनय किया, उस पर अपने उपन्यास को गलत ढंग से प्रस्तुत करने के लिए मन्नू जी ने अदालत में मामला दायर किया था । इसमें अन्त में बंटी की मृत्यु दिखाई गई थी । मुकदमे का फैसला मन्नू जी के पक्ष में रहा था । इस पुस्तक में प्रस्तुत पटकथा स्वयं मन्नू जी ने लिखी थी जिस पर फिल्म नहीं बन पाई, इसलिए पाठक इस प्रस्तुति को इस पुस्तक में ही पढ़ सकते हैं | अपने उपन्यास को दृश्यों में बदलते समय इस पटकथा में मन्नू जी ने एक सिद्धहस्त पटकथा लेखक होने का परिचय दिया है । | 9410 | |||
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eps-library General Stacks | Fiction | 8H3 9410 (Browse shelf(Opens below)) | Available | आपका बंटी' मन्नू भंडारी की अत्यन्त चर्चित और हिन्दी उपन्यासों के इतिहास में मील का पत्थर मानी जानेवाली कृति है । टूटते परिवारों के बीच बच्चों को किस मानसिक यातना से गुजरना पड़ता है इस उपन्यास में उसे लगभग दस्तावेजी ढंग से अंकित किया गया है । जिस संवेदनशीलता और स्नेह से मन्नू जी इस चरित्र और उसके मानसिक जीवन को लिख पाई, वह हिन्दी में दुबारा सम्भव नहीं हो सका । बंटी के माता-पिता सम्बन्ध-विच्छेद के बाद अलग- अलग रहते हैं और बाद मे अपना-अपना घर बसा लेते हैं । इस पूरी प्रक्रिया में बंटी को किसी भी घर में वह अपनापा महसूस नहीं होता जो उसे उसके माता- पिता एक साथ रहकर दे सकते थे । अन्त में बंटी को छात्रावास भेज दिया जाता है । इस पुस्तक में इस उपन्यास पर स्वयं मन्नू जी द्वारा लिखित फिल्म-पटकथा प्रकाशित की जा रही है । यहाँ यह जान लेना जरूरी है कि 'आपका बंटी’ को लेकर 1986 में 'समय-की-धारा' नाम से जो फिल्म बनी, यह उसकी पटकथा नहीं है । 'समय की धारा’, जिसमेँ शबाना आज़मी, शत्रुघ्न सिन्हा और विनोद मेहरा ने अभिनय किया, उस पर अपने उपन्यास को गलत ढंग से प्रस्तुत करने के लिए मन्नू जी ने अदालत में मामला दायर किया था । इसमें अन्त में बंटी की मृत्यु दिखाई गई थी । मुकदमे का फैसला मन्नू जी के पक्ष में रहा था । इस पुस्तक में प्रस्तुत पटकथा स्वयं मन्नू जी ने लिखी थी जिस पर फिल्म नहीं बन पाई, इसलिए पाठक इस प्रस्तुति को इस पुस्तक में ही पढ़ सकते हैं | अपने उपन्यास को दृश्यों में बदलते समय इस पटकथा में मन्नू जी ने एक सिद्धहस्त पटकथा लेखक होने का परिचय दिया है । | 9411 | |||
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eps-library General Stacks | Fiction | 8H3 9410 (Browse shelf(Opens below)) | Available | आपका बंटी' मन्नू भंडारी की अत्यन्त चर्चित और हिन्दी उपन्यासों के इतिहास में मील का पत्थर मानी जानेवाली कृति है । टूटते परिवारों के बीच बच्चों को किस मानसिक यातना से गुजरना पड़ता है इस उपन्यास में उसे लगभग दस्तावेजी ढंग से अंकित किया गया है । जिस संवेदनशीलता और स्नेह से मन्नू जी इस चरित्र और उसके मानसिक जीवन को लिख पाई, वह हिन्दी में दुबारा सम्भव नहीं हो सका । बंटी के माता-पिता सम्बन्ध-विच्छेद के बाद अलग- अलग रहते हैं और बाद मे अपना-अपना घर बसा लेते हैं । इस पूरी प्रक्रिया में बंटी को किसी भी घर में वह अपनापा महसूस नहीं होता जो उसे उसके माता- पिता एक साथ रहकर दे सकते थे । अन्त में बंटी को छात्रावास भेज दिया जाता है । इस पुस्तक में इस उपन्यास पर स्वयं मन्नू जी द्वारा लिखित फिल्म-पटकथा प्रकाशित की जा रही है । यहाँ यह जान लेना जरूरी है कि 'आपका बंटी’ को लेकर 1986 में 'समय-की-धारा' नाम से जो फिल्म बनी, यह उसकी पटकथा नहीं है । 'समय की धारा’, जिसमेँ शबाना आज़मी, शत्रुघ्न सिन्हा और विनोद मेहरा ने अभिनय किया, उस पर अपने उपन्यास को गलत ढंग से प्रस्तुत करने के लिए मन्नू जी ने अदालत में मामला दायर किया था । इसमें अन्त में बंटी की मृत्यु दिखाई गई थी । मुकदमे का फैसला मन्नू जी के पक्ष में रहा था । इस पुस्तक में प्रस्तुत पटकथा स्वयं मन्नू जी ने लिखी थी जिस पर फिल्म नहीं बन पाई, इसलिए पाठक इस प्रस्तुति को इस पुस्तक में ही पढ़ सकते हैं | अपने उपन्यास को दृश्यों में बदलते समय इस पटकथा में मन्नू जी ने एक सिद्धहस्त पटकथा लेखक होने का परिचय दिया है । | 9412 | |||
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